🚨 सागर की छानबिला पुलिस की बड़ी कार्रवाई , वैन सहित 224 लीटर अवैध शराब जब्त
सागर जिले की छानबिला पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने कार्यवाही करते हुए एक वैन से 224 लीटर यानी लगभग 25 पेटी अवैध शराब बरामद की है। जब्त की गई शराब की कीमत करीब ₹18,000 बताई जा रही है, जबकि वाहन की कीमत लगभग ₹5 लाख आंकी गई है।
जानकारी के अनुसार पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि छतरपुर की ओर से एक इको वैन में अवैध शराब लाई जा रही है। सूचना मिलते ही छानबिला पुलिस ने नाकाबंदी की और वाहन को रोकने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस को देखकर वाहन चालक ने रफ्तार तेज कर दी और मौके से भागने लगा। पुलिस ने पीछा किया, जिसके दौरान चालक और उसमें सवार एक अन्य व्यक्ति वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गए।
वाहन की तलाशी लेने पर पुलिस को 21 पेटी व्हिस्की, तीन पेटी सफेद और एक कार्टन अन्य विदेशी मदिरा के मिले। इसके बाद पुलिस ने वाहन और शराब दोनों को जब्त कर लिया और आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
छानबिला थाना प्रभारी रामलाल अहिरवार ने बताया कि वाहन के पंजीयन के आधार पर आरोपी की पहचान की जा रही है। उन्होंने कहा कि आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच जारी है।
छिंदवाड़ा में ज़हरीली कफ सिरप से मासूमों की मौत पर कमलनाथ ने जताया गहरा शोक
छिंदवाड़ा जिले के परासिया में ज़हरीली कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के मामले ने पूरे मध्य प्रदेश को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे।
अपने तीन दिवसीय छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान वे सीधे परासिया पहुंचे, जहां उन्होंने मृत बच्चों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। कमलनाथ ने घर-घर जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। परिजनों ने रोते-बिलखते बताया कि दवाई समझकर दी गई सिरप ने उनके मासूमों की जान ले ली।
कमलनाथ ने परिजनों को सांत्वना दी और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक दुर्घटना नहीं बल्कि सरकारी तंत्र की लापरवाही का नतीजा है। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने सरकार पर सीधा निशाना साधा।
कमलनाथ ने कहा, “मैं लगातार सरकार से पूछता रहा कि आप क्या टेस्टिंग कर रहे हैं? लेकिन सच तब सामने आया जब जांच में पता चला कि दवाइयों में जहरीला केमिकल मिला हुआ है। मध्य प्रदेश में तो 5% दवाओं की भी लैब टेस्टिंग नहीं होती।” उन्होंने यह भी बताया कि जिस कंपनी की दवाई तमिलनाडु से लाई गई थी, वह प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई की गई थी। लेकिन सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि कितनी दवाइयां बंटी और कितनी जाने गईं।
उन्होंने आरोप लगाया कि अगर यह घटना उजागर न होती तो दवा माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत पर पर्दा ही पड़ा रहता। भावुक होते हुए कमलनाथ ने कहा, “मुझे यहां आकर बहुत दुख हुआ। मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि मैं इन परिवारों से मिल सकूं, लेकिन उनका दर्द सुनना जरूरी था। जिनकी जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपनी आंखें मूंद लीं।”
इस दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की भीड़ उमड़ी रही। परासिया के लोग अब एक ही सवाल पूछ रहे हैं—क्या मासूमों की मौत पर सिर्फ बयानबाजी होगी या दोषियों पर कार्यवाही भी होगी? कमलनाथ ने आश्वासन दिया कि वे विधानसभा और सड़क, दोनों स्तरों पर इस लड़ाई को जारी रखेंगे।
यह मामला अब सरकार की जिम्मेदारी और दवा नियंत्रण प्रणाली की खामियों पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।



