बीना में दो पक्षों में खूनी संघर्ष, महिलाओं और बच्चों सहित 24 लोग घायल

बीना में दो पक्षों में खूनी संघर्ष, महिलाओं और बच्चों सहित 24 लोग घायल


सागर (मध्य प्रदेश):

मध्य प्रदेश के सागर जिले के बीना क्षेत्र में दीपावली से ठीक एक दिन पहले एक बड़ी हिंसक झड़प हुई। ग्राम मुरिया नायक में दो पक्षों के बीच पुरानी रंजिश को लेकर जमकर लाठी, डंडे और धारदार हथियार चले। इस खूनी संघर्ष में महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 24 लोग घायल हो गए हैं।


घटना रविवार दोपहर लगभग 3 बजे शुरू हुई और शाम 4:30 बजे तक पथराव और मारपीट का सिलसिला जारी रहा। गांव में अफरातफरी का माहौल बन गया और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।


ग्रामीणों का कहना है कि जब सूचना देने वाले लोग नई बस्ती पुलिस चौकी पहुंचे, तो वहां ताला लटका हुआ था, जिससे लोगों में गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।




दोनों पक्षों से कई घायल


एक पक्ष से घायल हुए लोगों में —

गुनगुन (12), गरिमा (11), रीना (40), आकाश (18), अरविंद (44), मिथुन (32), संतोष (45), गगन (19), अभय प्रताप (15), आरती (35), अरुण (23), रानी (20), राज (21) और अमन (16) शामिल हैं।


दूसरे पक्ष से घायल हुए —

पर्वत, भैयाराम, विमल, संजू, वर्षा, महक, सविता, बबलू, अतुल और अर्जुन


दोनों पक्षों के घायलों में कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।




अस्पताल में अव्यवस्था


गंभीर रूप से घायल भैयालाल, संजू, विमला, मोनू, आरती, पर्वत और वृंदावन को प्राथमिक उपचार के बाद सागर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।

शेष घायलों का इलाज बीना के स्थानीय अस्पताल में जारी है, लेकिन मरीजों का आरोप है कि अस्पताल में व्यवस्था बेहद खराब है —

एक-एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों को भर्ती किया गया है और दवाइयों की भी कमी बताई जा रही है।





पुलिस पर सवाल


ग्रामीणों ने बताया कि डायल 112 और 108 एंबुलेंस को कॉल करने के बाद भी दोनों करीब एक घंटे की देरी से मौके पर पहुंचीं। इस देरी से कई घायलों की हालत बिगड़ गई।

वहीं, चौकी में पुलिसकर्मियों की अनुपस्थिति ने सुरक्षा व्यवस्था पर और सवाल खड़े कर दिए हैं।



गांव में तनाव, अतिरिक्त बल तैनात


घटना के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों से शिकायतें दर्ज कर ली हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।

गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की दोबारा हिंसा को रोका जा सके।


फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन गांव में अभी भी तनाव का माहौल बना हुआ है।




सागर में अवैध पटाखा भंडारण का खुलासा, प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल


मध्य प्रदेश के तीन शहरों — कटनी, मेहर और खंडवा — में पटाखों के जोरदार ब्लास्ट हुए हैं। इसके बावजूद प्रशासन और सरकार अभी भी चेत नहीं रही है। दीपावली का त्योहार नजदीक है, ऐसे में जब घनी बस्ती में पटाखों का अवैध भंडारण किया जाता है, तो लोगों की जान-माल का खतरा बढ़ जाता है।


खबर सागर जिले से है, जहां घनी आबादी के बीच नियमों को ताक पर रखकर विस्फोटक सामग्री यानी पटाखों का बड़ा स्टॉक करने वाले रमेश तालेवाले, विनीत जैन व अन्य पर प्रशासन ने जबरदस्त कार्रवाई की है। खुरई रोड स्थित आईटीआई के सामने संचालित इस थोक व फुटकर विक्रय केंद्र पर रिटेल काउंटर की आड़ में पटाखों का अवैध गोडाउन चलाया जा रहा था।


कलेक्टर संदीप जी.आर. के निर्देश पर ग्रामीण तहसीलदार राहुल सिंह गड के नेतृत्व में टीम ने मौके पर पहुंचकर बड़ी मात्रा में अवैध स्टॉक को सील किया। हालांकि यह कार्रवाई अधूरी बताई जा रही है, जो प्रशासन और व्यापारियों की साठगांठ की ओर इशारा करती है


सूत्रों के अनुसार, विनीत जैन तालेवाले के पास करीब 500 किलोग्राम अवैध पटाखों का स्टॉक मिला था। गोडाउन को सील कर दिया गया है, लेकिन उसी दौरान उनकी दूसरी रिटेल दुकान खुली रही और वहां पटाखों की बिक्री भी जारी थी। यह स्थिति प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े करती है।


जिला प्रशासन को सूचना मिली थी कि रमेश तालेवाले के नाम से चल रहे इस केंद्र पर रिटेल काउंटर की अनुमति की आड़ में भारी मात्रा में पटाखों का भंडारण किया गया है। जांच के दौरान टीम को काउंटर के पास बने एक भवन में 500 किलोग्राम पटाखों का अवैध भंडारण मिला। तहसीलदार के अनुसार, विक्रेता को मात्र 100 किलोग्राम पटाखों के भंडारण और रिटेल बिक्री की अनुमति थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए यह स्टॉक पांच गुना ज्यादा था।


कार्रवाई के बावजूद सबसे गंभीर बात यह सामने आई है कि यह कार्रवाई दिखावटी और अधूरी थी। प्रत्यक्षदर्शियों और सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन की टीम ने जिस गोडाउन को सील किया था, उससे कहीं अधिक पटाखों का जखीरा दुकान के रिटेल काउंटर के ऊपर बने फ्लोर में मौजूद था।


यह न सिर्फ गंभीर लापरवाही है बल्कि पुलिस प्रशासन की कथित मिलीभगत को भी उजागर करती है। यदि यह सच है तो यह घनी आबादी के बीच बारूद का इतना बड़ा भंडारण कर स्थानीय निवासियों की जान-माल को सीधा खतरा पैदा करता है।


अब सवाल यह है कि जिम्मेदार कौन है? जवाब कौन देगा?


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